Monday, October 31, 2016

बचपन मे लौट जाने को दिल करता है..

बचपन मे लौट जाने को दिल  करता है..



ना जाने क्यूँ आज लुक्का चुप्पी खेलने का मन करता है..
गर्मी की छुट्टियो मे सबके साथ घूमने का जी करता है

लुडो और साँप सीढ़ी मे बेईमानी करने का जी करता है...
केरम बोर्ड मे रानी निकाल के उछलने का जी करता है.

ना जानी क्यूँ पापा के साथ पतंग उड़ाने का जी करता है..
लटाई पकड़ के पतंग को ढील देने का मनकरता है.

ना जाने क्यूँ आज स्कूल के बाहर के समोसे खाने को जी करता है...
भेलपुरी मे थोड़ाऔर चटनी डलवाने को जी करता है.

ना जाने क्यूँ आज रिक्शे से स्कूल जाने को जी करता है....
बीच मे उतर कर रिक्शे को धक्का लगाने का जी करता है.

ना जाने क्यूँ आज स्कूल की प्रेयर गाने को जी करता है...
टेस्ट मे अपने दोस्त के साथ बैठ के चीटिंग करने का जी करता है...

ना जाने क्यूँ आज फिर से बचपन मे लौट जाने को जी करता है..
मस्त मलन्ग हो के ज़िंदगी जीने को जी करता है.

Monday, October 24, 2016

ज़िंदगी का मज़ा ......

ज़िंदगी का मज़ा ......


आसानी से मिल जाए जो ,उसको पाके क्या मज़ा है..
आनंद तो मेहनत करके कुछ पाने में है.



रास्ता अगर सीधा हो तो ज़िंदगी मे क्या मज़ा....
खुशी तो ख़तनाक रास्ते को पार के लक्ष्या पाने मे है



लोगों का काम है तुम्हे टोकना ...हर कदम पर तुम्हे रोकना
सुकून उस काम को पूरा करके लोगों की बोलती बंद करने में है.


भेड़ चाल में चल दिए तो तुम्हारा अपना वजूद क्या रहेगा
संतुष्टि तो अकेले अपनी राह बना के मंज़िल को पाने में है.....


सोने के पिंजरे में रहेने से बेहतर, चिड़िया की खुशी गगन को छूने मे है..
ज़िंदगी का असली मज़ा तो नामुमकिन को मुमकिन करने मे है

क्यूँ चले गये...

क्यूँ चले गये...
......
क्यूँ चले गये ऐसे छोड़के अकेले,सब सूना सा लगता है,
सब कुछ होते हुए भी खाली पन सा रहता है

हर पल मन यह रहता है की काश एक बार गले से लगा लेते
जो गिले शिकवे है वो मिटा देते, कुछ प्यार छलका देते

हर वक़्त कमी महसूस होती है, अधूरा अधूरा सा लगता है
आपका ज़िंदगी में ना होना ..इक सपना सा लगता है

अपनी उस मुस्कान के पीछे आपने कितने दर्द छुपाए थे..
सबको खुश देखने के लिए आप एक भी शिकन नही लाए थे

वो मुस्कराहट देखने के लिए .. ये आखें तरसती हैं
अक्सर याद आते हैं बिताए हुए पल और आखें नम हो जाती हैं

Tuesday, October 18, 2016

छोटी सी है यह ज़िंदगी...हर पल कीमती होता है

छोटी सी है यह ज़िंदगी...हर पल कीमती होता है
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तू क्यूँ हर बात पे ...किस्मत को कोस्ता है...
तूने जीतने प्रयतन किए ...उतने का फल मिलता है
तू क्यूँ दूसरों के सुख से .. अपने आप को दुखी करता है...
किसी की खुशी में शामिल होके देख... कितना सुकून मिलता है
तू अपने रेत के महल पे ध्यान दे... क्यूँ किसी और का महल तौडता है..
क्यूँ किसी का सपना तोड़के , तू इतना खुश होता है
कोई रहेता बंगले में, कोई फूटपात पे सोता है
तुझे भगवान ने इतना दिया, फिर भी तू क्यूँ रोता है
रोटी का एक नीवाले के लिए.. जाने कौन तरसता है
तू खाना को तिरस्कार मत कर, कोई भूखा पेट सोता है
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ज़िंदगी...हंस कर के जी ... क्यूँ की तू इतना रोता है
छोटी सी है यह ज़िंदगी...हर पल कीमती होता है