Saturday, April 11, 2015

चले गए हमराही

ज़िन्दगी में हमारे साथ चले थे कई राही
राह चलती गयी , मंज़िल ना जुड़ पाई

बीच राह में छोड़ के चले गए वह अपने हमराही को
आसान सी राह अब कठिन लगती है उनके बिना सबको

चले गए है वो हमें छोड़ के ऐसी जगह
जहाँ जाना मुमकिन नहीं भगवान की मर्ज़ी के बिना

अनगिनत यादें जुडी हा उनसे , अक्सर कई बातें याद आती हैं
कुछ पल ऐसे है, याद करके आँखें नम हो जाती है

उनका न होना ज़िन्दगी में , एक बुरा सपना सा लगता है
ज़िन्दगी तो ज़ी रही हूँ, पर बहुत खालीपन लगता है

अक्सर में रात में तारों से बातें करती हूँ..
क्यों किया अपने भगवान ऐसा,,, उनसे प्रशन यह करती हूँ.

उन जगमग तारों में , एक मेरी आँख का तारा था ,
जिसको मैं सबसे प्यारी थी , और वो मुझे सबसे प्यार था,






photo from google.