चलते चलते अगर कदम लड़खड़ाए ,हताश ना होना तू
विशवास रख खुद पे ...है मंज़िल दूर नहीं
सफर में कभी अन्धकार आये...डरना मत तू
कदम बढ़ाये चल .. उजाले की चमक दूर नहीं
कभी गुमराह हो गया अगर ... मत थमना तू
आगे बढ़ता चल... मार्ग दर्शक दूर नहीं
चलते चलते कभी अगर .. हवा रुख बदल ले
तू अपना रुख न बदलना क्योंकि लक्ष्य से तू दूर नहीं
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क्यों तू आधे रस्ते पर हार मान रहा है
जितने प्रत्यन किये है उनको पानी में बहा रहा है
रुक न तू .. थम न तू..हताश होक झुक न तू..
सर उठा के चल तू ..मंज़िल से न दूर है तू.
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