चलते चलते कई बार कदम लड़खड़या
पर बीते पल ने भी बहुत कुछ सीखाया...
राह में चलते चलते में कई बार घुमराह हुई
हताश हो के सोचा की.... अब रुक जाओं यहीं.
मन में सवाल था की आगे की राह में क्या होगा
काटों भरा रास्ता या फूलों से भरा मार्ग होगा...
फिर दिल ने आवाज़ दी
रुकते तो हार मानने वाले है..तूने क्यों हार मान ली...
सपनो को अधूरा छोड़ना कायरता की निशानी है
रुक मत !!! तुझे तो अपनी मंज़िल पानी है...
चल पढ़ अब ठान के , इस बार करके दिखाना है
जो सपने तूने देखे है उन्हें पूरा करके आना है...
सोच लिए मैंने , पीछे मुड़ के न देखूंगी
जो बीत गया वह एक सुहाना पल था, अब आगे की सोचूंगी!!!!!
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