क्यूँ चले गये...
......
......
क्यूँ चले गये ऐसे छोड़के अकेले,सब सूना सा लगता है,
सब कुछ होते हुए भी खाली पन सा रहता है
सब कुछ होते हुए भी खाली पन सा रहता है
हर पल मन यह रहता है की काश एक बार गले से लगा लेते
जो गिले शिकवे है वो मिटा देते, कुछ प्यार छलका देते
जो गिले शिकवे है वो मिटा देते, कुछ प्यार छलका देते
हर वक़्त कमी महसूस होती है, अधूरा अधूरा सा लगता है
आपका ज़िंदगी में ना होना ..इक सपना सा लगता है
आपका ज़िंदगी में ना होना ..इक सपना सा लगता है
अपनी उस मुस्कान के पीछे आपने कितने दर्द छुपाए थे..
सबको खुश देखने के लिए आप एक भी शिकन नही लाए थे
सबको खुश देखने के लिए आप एक भी शिकन नही लाए थे
वो मुस्कराहट देखने के लिए .. ये आखें तरसती हैं
अक्सर याद आते हैं बिताए हुए पल और आखें नम हो जाती हैं
अक्सर याद आते हैं बिताए हुए पल और आखें नम हो जाती हैं
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.